Monday, December 8, 2008

मुझे वेद पुराण कुरान से क्या ?मुझे सत्य का पाठ पढ़ा दे कोई मुझे मंदिर मस्जिद जाना नहीं मुझे प्रेम का रंग चढ़ा दे कोई जहाँ ऊँच या नीच का भेद नहीं जहाँ जात या पाँत की बात नहीं न हो मंदिर मस्जिद चर्च जहाँ न हो पूजा नमाज़ में फर्क कहीं जहाँ सत्य ही सार हो जीवन का रिधवार सिंगार हो त्याग जहाँ जहाँ प्रेम ही प्रेम की सृष्टि मिले चलो नाव को ले चलें खे के वहाँ कहते हो मेरे साथ कुछ भी बेहतर नही होतासच ये है के जैसा चाहो वैसा नही होताकोई सह लेता है कोई कह लेता हैक्यूँकी ग़म कभी ज़िंदगी से बढ़ कर नही होताआज अपनो ने ही सीखा दिया हमेयहाँ ठोकर देने वाला हैर पत्थर नही होताक्यूं ज़िंदगी की मुश्क़िलो से हारे बैठे होइसके बिना कोई मंज़िल, कोई सफ़र नही होताकोई तेरे साथ नही है तो भी ग़म ना करख़ुद से बढ़ कर कोई दुनिया में हमसफ़र नही होता

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